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हमारे भीतर की आवाज़ हमेशा हमसे बात करती है, पर मन का शोर उसे दबा देता है। |
हमारी ज़िन्दगी में कुछ तो है, जो निरंतर हमसे संवाद करता रहता है — अंतरात्मा की आवाज़, जो हमें भीतर से मार्गदर्शन देती है। पर हम में से ज़्यादातर लोग इस भीतर की आवाज़ को सुन नहीं पाते। क्यों? क्योंकि हमारे मन में लगातार एक शोर है। यह शोर हमारे विचारों का, भावनाओं का, चिंताओं का और बाहरी दुनिया के प्रभावों का है। यही शोर उस आत्मा की आवाज़ को दबा देता है।
लेकिन यदि हम चाहें तो मन का शोर रोकना संभव है। जब हम मन के कोलाहल को शांत कर देते हैं, तब हम अपने भीतर की आवाज़ को स्पष्ट सुन सकते हैं। यही वो क्षण होता है जब हमारी ज़िन्दगी सच में बदलनी शुरू होती है और हम मन की शांति का अनुभव करते हैं।
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तो सवाल है — इस शोर को कैसे रोकें?
उत्तर बहुत साधारण है। जैसे बाहरी शोर से परेशान होकर हम वहां से दूर चले जाते हैं, वैसे ही मन के विचारों से भी थोड़ी दूरी बना सकते हैं। इसका अर्थ है कि जब हमारे मन में ढेर सारे विचार आते हैं, तो हम उनसे चिपके नहीं रहते बल्कि उन्हें आते-जाते देखते हैं — जैसे आकाश में बादल।
इसके लिए कुछ सरल उपाय हैं जो अंदरूनी शांति पाने में मदद करते हैं: – ध्यान (Meditation) का अभ्यास करें
– गहरी और शांत श्वास लें
– प्रकृति में समय बिताएँ
– आत्म-स्वीकृति और स्वीकार्यता का भाव रखें
जब हम ऐसा करते हैं, तो धीरे-धीरे हमारा मन शांत होने लगता है और हम अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुन पाते हैं। उस समय जीवन में स्पष्टता आती है, निर्णय बेहतर होते हैं और एक स्थायी आत्मिक शांति का अनुभव होता है।
अंत में इतना ही — अपने मन के शोर से डरें नहीं। बस थोड़ी दूरी बना लीजिए।
आप देखेंगे कि भीतर एक शांत झरना बह रहा है — जो केवल आपका है और जीवनभर आपको दिशा देगा।
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