शनिवार, 24 मई 2025

If You Change, I Will Change — एक आत्मा की पुकार


An ethereal glowing soul touching a man's chest, symbolizing inner transformation and the message "If you change, I will change"
"If You Change, I Will Change" एक आत्मा और मनुष्य के बीच के गूढ़ संवाद



 रात के दो बज चुके थे। पूरा शहर नींद की चादर में लिपटा हुआ था, लेकिन मेरी आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। सिरहाने पड़ी किताबें बंद थीं, मोबाइल की स्क्रीन अंधेरे में एक ठंडी रोशनी फैला रही थी, और मेरा मन… वो जैसे किसी भारीपन में डूबा था।


मैंने करवट ली और खुद से बुदबुदाया —

"क्या हो गया है मुझे?"


तभी कहीं भीतर से एक धीमी, बहुत जानी-पहचानी सी आवाज़ आई —

"कुछ नहीं… बस तुम खुद से बहुत दूर चले गए हो।"


मैं चौंक गया।

"कौन… कौन बोल रहा है?"


"मैं। तुम्हारी आत्मा।"

उस आवाज़ में ना कोई डर था, ना धमक, बस एक शांत अपनापन।


"आत्मा?" मैंने विस्मित होकर पूछा, "लेकिन तुम तो कभी बोलती नहीं थीं?"


"बोलती थी। पर तुम सुनते कहां थे?"


मैं मौन हो गया। दिल की धड़कन जैसे किसी छुपी हुई सच्चाई से टकरा गई हो।


"मैं तो तुम्हारे भीतर ही हूं," वह बोली,

"लेकिन तुमने मुझे अपनी सोच से बांध रखा है।"


"मैंने? कैसे?"


"जैसी सोच तुम्हारी होती है, वैसा ही मुझे महसूस करना पड़ता है।

तुम डरते हो, तो मुझे भी डर लगता है।

तुम रोते हो, तो मैं भी भीग जाती हूं।

तुम भ्रम पालते हो, तो मैं जकड़ जाती हूं।

तुम्हारे पास विकल्प होते हैं, पर तुम कभी चुनते नहीं।

और मैं कुछ कह भी नहीं सकती, क्योंकि मर्जी तुम्हारी है।"


एकदम चुप्पी छा गई कमरे में। मानो वह आवाज़ भी थक गई हो।


"तो क्या करूं मैं?" मैंने धीरे से पूछा।

"मुझे समझ नहीं आता।"


"यही तो करना है — समझना। खुद को जानो।

तुम कौन हो? क्या चाहते हो? क्यों भागते हो?

खुद से सवाल करो। मैं जवाब दूंगी।

मैं तुम्हारे अंदर हूं — हमेशा से।"


इथे भी पढीये;

उसकी आवाज़ अब कोमल थी, लेकिन दृढ़ भी।


"तुम भविष्य की चिंता करते हो, लेकिन भविष्य कोई स्थिर चीज़ नहीं है।

भविष्य होता ही नहीं — जो आज तुम करते हो, वही तुम्हारे कल को गढ़ता है।

तुम्हारे आज के निर्णय ही तुम्हारी संभावना हैं।

तो उठो, बदलो खुद को।

मैं भी बदलूंगी।"


मैं कुछ कहना चाहता था लेकिन शब्द नहीं मिले।


"तुम्हारा बदलना ही मेरी मुक्ति है," वह बोली,

"और मेरी मुक्ति, तुम्हारे दुःखों का अंत।

अगर तुम मजबूत बनोगे, मैं तुम्हें और भी ताकत दूंगी।

अगर तुम नया सोचोगे, नई संभावना बनोगे।

बस… सुनो खुद को।

बाकी शोर से बाहर निकलो।

मैं तुम्हारी हूं… लेकिन मेरी मुक्ति तुम्हारे हाथों में है।"


वो पल… एक साधारण रात नहीं थी।

वो मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी जागृति थी।

मैंने आंखें बंद कीं — लेकिन पहली बार देखा… खुद को।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अच्छी आदतें कैसे जीवन बदलती हैं और बुरी आदतें कैसे रोकती हैं?"

   "हमारी आदतें हमारे जीवन की दिशा तय करती हैं — इस चित्र में इसका स्पष्ट अंतर दिख रहा है।" मनुष्य जब जन्म लेता है, वह पूर्णतः शुद...