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"विचारों की अनुपस्थिति में एक साधक — शांति, मौन और आत्मा का साक्षात्कार" |
क्या कभी आपने सोचा है — अगर मन में कोई विचार ही न आएं, तो क्या होगा?
हमारी स्थिति कैसी होगी? हमारी चेतना किस अवस्था में होगी? हम क्या देखेंगे, क्या महसूस करेंगे?
यह सवाल जितना साधारण लगता है, उतना ही गहरा है। आमतौर पर हम दिनभर विचारों से घिरे रहते हैं। कभी भविष्य की चिंता, कभी अतीत की यादें, तो कभी कल्पनाएं। लेकिन अगर यह विचार ही चुप हो जाएं, थम जाएं — तो क्या बचेगा?
सोचिए, क्या आपने कभी पानी को मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश की है? नहीं पकड़ सकते।
क्यों? क्योंकि पानी एक द्रव है।
द्रव को सिर्फ संग्रहित किया जा सकता है, थामा नहीं जा सकता।
बिलकुल वैसे ही, विचारों को भी पकड़ा नहीं जा सकता। वे आते हैं, जाते हैं, बहते हैं।
हम उन्हें देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं, लेकिन थाम नहीं सकते।
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अब कल्पना कीजिए — अगर विचार आना ही बंद हो जाएं।
ऐसी स्थिति में, जब मन एकदम शांत हो, जब कोई कल्पना, कोई भाव, कोई शब्द भीतर न हो — तब क्या बचेगा?
"हम स्वयं।"
हम वैसा ही रूप देखेंगे जैसा हम वास्तव में हैं — बिना किसी परत के, बिना किसी मुखौटे के।
जैसे दर्पण में हम अपना प्रतिबिंब देखते हैं — वैसा ही निष्कलंक।
जैसे पेड़, पौधे, वायु, जल — जो बस हैं, जो बस करते हैं, जिन्हें न कुछ पाना है, न खोना, न इच्छा, न अपेक्षा।
उनकी तरह हम भी महज उर्जा बन जाएंगे — जो बस बह रही है।
न कोई भावना, न कोई वासना, न कोई लक्ष्य।
केवल "होना", केवल "जीना"।
लेकिन फिर सवाल उठता है —
क्या यह संभव है?
शायद नहीं।
क्योंकि विचारों से ही इंसान है।
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इन्हीं विचारों से कर्म उपजते हैं, और कर्म से विकास की प्रक्रिया।
इन्हीं विचारों से संभावनाएं जन्म लेती हैं — और उन्हीं संभावनाओं से ब्रह्मांड विस्तार पाता है।
विचार हमारे अस्तित्व का मूल हैं।
वे न हों तो न भाव हैं, न भाषा, न अभिव्यक्ति।
न खोज है, न रचना।
तो क्या विचारों से मुक्त होना ही मुक्ति है?
या विचारों को देखकर, उन्हें समझकर, उनके पार जाकर खुद को जानना ही सच्ची मुक्ति है?
शायद उत्तर न स्पष्ट है, न आवश्यक।
पर इतना तय है —
कभी-कभी विचारों को शांत करने की कोशिश करना,
हमें खुद से मिलाने की शुरुआत हो सकती है।
क्या आपने कभी विचारशून्यता का अनुभव किया है?
नीचे कमेंट में अपनी अनुभूति साझा करें या इस लेख को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ साझा करें जो आत्मचिंतन के रास्ते पर है।
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