जहाँ डर है, वहीं हमारी असली शक्ति छुपी होती है

 नमस्ते दोस्तों, आप सभी का मेरे Spiritual Blog पर दिल से स्वागत है।

   आज मैं एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहा हूँ, जो हम सबकी ज़िंदगी में कहीं न कहीं चुपचाप बैठा हुआ है — डर।

हाँ वही डर, जो हमें रोकता है… दबाता है… और कई बार हमारी असली शक्ति को दुनिया के सामने आने ही नहीं देता।

चलो शुरू करते हैं आज का ये बेहद गहरा विषय — “जहाँ डर है, वहीं हमारी असली शक्ति छुपी होती है।”



🔹 डर क्या है? (What is Fear?)

डर असल में क्या है?

अगर हम ध्यान से समझें, तो डर कोई वास्तविक चीज़ नहीं है।

डर एक संभावना है — वो भी नकारात्मक संभावना।

जो हुआ नहीं है

जो सामने नहीं है

जो सिर्फ हमारे मन में बनाया गया है

डर बस उसी कल्पना का नाम है।

लेकिन मज़े की बात ये है कि…

डर कभी हमें रोकता नहीं — हम खुद अपने डर को इतना बड़ा बना देते हैं कि वह हमारी शक्ति को दबा देता है।

असल में डर वो जगह है जहाँ हमारा मन हमें बताता है:

“यहाँ तुम्हें बढ़ना है… यहाँ तुम्हारी असली परीक्षा है… और यहीं तुम्हारी शक्ति छुपी है।”

🔹 डर: एक भ्रम (Fear is an Illusion)

डर कई बार हमें महसूस होता है कि मानो बाहर कोई खतरा है…

लेकिन 90% मामलों में खतरा बाहर नहीं, भीतर होता है।

यह सिर्फ हमारे subconscious mind की एक छाया है।

डर एक illusion है —

पर हमारे लिए इतना वास्तविक बन जाता है कि हम उससे बचते रहते हैं।

पर क्या हो अगर हम उससे भागने की बजाय सामने खड़े हो जाएँ?


*****

मेरे एक दोस्त की कहानी हमेशा मेरे दिल में बैठ गई…

वह रोज़ सुबह–शाम अपनी दादी के खाली पड़े घर में ध्यान करता था।

सालों से वह वहाँ मेडिटेशन करता आ रहा था — एकदम शांति से, बिना किसी डर के।

लेकिन एक दिन…

शाम के वक़्त जब वह रोज़ की तरह ध्यान में बैठा, अचानक उसके शरीर में बेचैनी फैलने लगी।

मानो हवा में कोई भारीपन भर गया हो।

दिल की धड़कन तेज़ हो गई… और उसे महसूस हुआ कि कोई उसे घूर रहा है।

वह उठा और बाहर आ गया।

पर अगले दो दिन भी वही हुआ —

बस बैठते ही वही बेचैनी… वही घुटन… वही अहसास कि कोई वहाँ मौजूद है।

यह सोचकर वह डर गया कि अचानक यह सब क्यों होने लगा?

जबकि वह दो–तीन साल से उसी जगह ध्यान कर रहा था।

फिर उसने बुद्ध का मेट्टा भाव यानी “मैत्री भावना” का चैंट किया।

और उसी रात उसे एक सपने ने सब कुछ साफ कर दिया…

सपने में उसने वही नकाब देखा —

एक भयानक दानव

जिसके बड़े–बड़े सिंग थे

डरावना चेहरा

और वही उसे घूरता हुआ…

पहले तो वह भी डर गया।

लेकिन फिर अचानक उसे महसूस हुआ —

“अगर मैं यहाँ डर गया तो मेरा परिवार कौन बचाएगा?

अगर ये दानव उन्हें सताए तो?”

और उसी क्षण —

उसके भीतर से शक्ति जाग उठी।

उसने उस दानव से कहा,

“यह जगह मेरी है। मेरे परिवार की है। तू यहाँ से जा।”

पर दानव नहीं हिला।

बस घूरता रहा।

और तभी मेरे दोस्त ने हिम्मत की —

लकड़ी उठाई और दानव की ओर दौड़ पड़ा।

दानव भागा…

बहुत दूर…

लेकिन पीछे मुड़कर अब भी घूर रहा था।

मेरे दोस्त ने एक बार फिर चिल्लाकर कहा—

“अगर दोबारा यहाँ आया तो अच्छा नहीं होगा!”

और तभी सपना टूट गया।

अगले दिन…

वह फिर ध्यान के लिए गया।

इस बार उसने मेट्टा भावना चैंट किया…

और क्या हुआ पता है?

पूरी जगह एकदम शांत थी।

कोई डर नहीं।

कोई भारीपन नहीं।

सब कुछ साफ… हल्का… शांत।

क्यों?

क्योंकि डर चला गया।

और जहाँ डर चला जाता है…

वहीं शक्ति प्रकट होती है।

🔹 डर हमें क्या सिखाता है? (Deep Insight)

डर हमेशा दो चीज़ों का संकेत देता है:

यह तुम्हारी सीमा है

यहाँ तुम्हें बढ़ना है

डर उस कमरे की तरह है

जिसका दरवाज़ा खोलने के बाद हमें अपनी असली ताकत मिलती है।

जैसे आपके दोस्त ने किया —

वह दानव असल में उसके अंदर जमा हुआ डर था।

और जैसे ही उसने उस पर वार किया…

डर खत्म हो गया।

और ध्यान लौट आया।


🔹 लोग आमतौर पर क्या सोचते हैं?

बहुत से लोग मानते हैं कि:

डर बुरा है

डर कमजोरी है

डर हमें रोकता है

डर होना मतलब कुछ गलत है

पर सच्चाई क्या है?

डर एक रास्ता है।

डर वह जगह है जहाँ ब्रह्मांड हमें कहता है:

“यहीं पर तुम्हारा अगला कदम है…

यहीं बढ़ोगे तो बदलोगे।”


🔹 अब क्या करना चाहिए? (Solutions)

✔ 1. डर को भागने न दें – उसे महसूस करें

जब डर आए, रुकें।

साँस लें।

देखें कि वह क्या दिखा रहा है।

✔ 2. डर को समझें, उसे पहचानें

जो चीज़ आपको सबसे ज़्यादा डराती है,

अक्सर वही आपकी सबसे बड़ी शक्ति बनती है।

✔ 3. मेट्टा भावना, प्रेम और करुणा का अभ्यास

आपकी कहानी इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।

जहाँ प्रेम आता है, डर गायब हो जाता है।

✔ 4. बार–बार डर वाली जगह पर जाएँ

जैसे आपके दोस्त ने किया —

तीन–चार बार जाकर उसने डर पर जीत पाई।

✔ 5. अपनी हिम्मत का इस्तेमाल करें

डर आपकी परीक्षा लेता है।

हिम्मत उसका उत्तर है।

🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

डर कोई राक्षस नहीं —

डर वह दरवाज़ा है जो आपकी छुपी हुई शक्ति तक ले जाता है।

जहाँ आपको सबसे ज्यादा डर लगता है,

वहीं आपकी सबसे बड़ी क्षमता,

सबसे बड़ा परिवर्तन,

सबसे बड़ी ताकत छुपी होती है।

आज एक ही बात याद रखना—

“जहाँ डर है, वहीं शक्ति का जन्म होता है।”

उधर जाओ…

उसे देखो…

और उस पर जीत हासिल करो।

यही जीवन का रास्ता है।

यही आध्यात्मिक विकास की असली शुरुआत है।

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