हम मानते हैं कि इंसान का विकास समझने और जानने से हुआ है।
लेकिन अगर थोड़ा गहराई से सोचें — तो क्या ये सच है?
असल में, इंसान ने हर चीज़ देखकर सीखी है, महसूस करके सीखी है।
देखना, सबसे पुरानी और प्राकृतिक सीखने की प्रक्रिया है।
समझना, अक्सर विचारों का जाल बन जाता है।
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👁️🗨️ हम क्या देखते हैं, वही बनते हैं
छोटा बच्चा जब इस दुनिया में आता है, तो वो किसी की बात नहीं समझता।
पर वो देखता है — माँ का चेहरा, बाप का व्यवहार, लोगों के हावभाव।
और उसी देखने से वह धीरे-धीरे बोलना, हँसना, डरना, सबकुछ सीखता है।
किसी सोच-विचार या शिक्षा के बिना — सिर्फ देखने से।
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🔁 समझने की कोशिश = उलझाव
हम सोचते हैं कि किसी चीज़ को जितना समझेंगे, उतना जानेंगे।
पर होता इसका उल्टा है —
हम उलझ जाते हैं, थक जाते हैं।
और जब हम चुप होकर, बिना राय के, केवल देखना शुरू करते हैं,
तो मन खुद-ब-खुद रास्ता दिखाने लगता है।
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✨ मेरा निजी अनुभव – चित्रों से सीखने की अनकही कहानी
जब मैं छोटा था, तो अपने एक पड़ोसी के यहाँ जाया करता था।
वो चित्रकला का छात्र था — हर समय पेंटिंग्स बनाता रहता।
मैं बस बैठकर चुपचाप उसकी कला को देखता रहता।
ना कभी कुछ पूछा, ना सिखाने को कहा।
धीरे-धीरे मेरे हाथ खुद-ब-खुद चित्र बनाने लगे।
आज भी मैं अच्छे चित्र बना सकता हूँ — बिना किसी फॉर्मल ट्रेनिंग के।
सोचो अगर मैंने उस समय ज़्यादा सवाल किए होते,
या उसे सिखाने के लिए मजबूर किया होता —
तो शायद मैं आज वो कला नहीं सीख पाता।
इसलिए मुझे आज भी विश्वास है कि —
"देखना ही असली सीख है।"
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🧘♂️ मन को दिशा नहीं, बस शांति चाहिए
हमारा मन हर उत्तर जानता है।
पर हम उसे शब्दों और दुनिया के नजरिए से भर देते हैं।
मन वही दिखाता है जो हम उससे चाहते हैं।
पर जब हम कुछ न कहें, कुछ न समझाएं,
तब मन अपने असली स्वरूप में प्रकट होता है —
और वही सिखाता है जो सच है।
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🔑 क्या करना है?
चुप रहो
देखो
महसूस करो
मन की चाल को पकड़ो — बिना उसकी दिशा बदले
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🧩 निष्कर्ष: देखना है तो सच में देखो
ज्ञान समझने से नहीं आता, वह देखने से आता है।
अगर तुम बस थोड़ी देर के लिए बिना किसी
राय के देख सको,
तो तुम खुद ही समझ जाओगे कि —
जो दिखता है, वही सिखाता है।
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