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"एक अनजान मुलाकात, एक मासूम पिल्ला और एक बुज़ुर्ग की करुणा — यही थी रश्मि की नई शुरुआत की पहली किरण।" |
रश्मि एक अत्यंत सुंदर और सम्पन्न परिवार की लड़की थी। जीवन में किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी — ना पैसा, ना सुविधा, और ना ही ऐशो-आराम। लेकिन फिर भी, न जाने क्यों, रश्मि के चेहरे पर हमेशा उदासी छाई रहती थी। उसे लगता था जैसे उसके जीवन में कोई सच्ची खुशी ही नहीं है। माँ-बाप ने कई डॉक्टरों को दिखाया, कई बार इलाज करवाया, पर उसकी मन:स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं आया।
वह अकसर सोचती, "जब जीवन में कोई खुशी ही नहीं, तो जीने का क्या मतलब?" कई बार उसके मन में आत्महत्या के विचार भी आते।
एक दिन, जब जीवन का बोझ उससे और सहन नहीं हुआ, उसने निर्णय ले लिया — "अब और नहीं। आज मैं अपनी जीवनलीला समाप्त कर दूंगी।"
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रश्मि अपनी कार लेकर एक पहाड़ी की ओर निकल पड़ी। रास्ते में एक मोड़ पर उसने देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति सड़क किनारे बैठे कुत्तों को रोटी खिला रहा है। उनके चेहरे पर एक अलग ही शांति और चमक थी। वे बेहद संतुष्ट और प्रसन्न लग रहे थे।
रश्मि से रहा नहीं गया। वह कार से उतरी और उस वृद्ध के पास जाकर बोली,
"आप इतनी खुशी से कैसे जीते हैं? मेरे पास सब कुछ है, फिर भी मैं अंदर से टूट चुकी हूँ।"
बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा,
"बेटी, अगर तू कुछ महीने पहले मुझे देखती, तो शायद मुझसे अधिक दुखी व्यक्ति तूने कभी न देखा होता।"
उन्होंने अपनी कहानी बतानी शुरू की —
**"मेरे बेटे की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। मैं संभल भी नहीं पाया था कि मेरी पत्नी ने भी सदमे में दम तोड़ दिया। मेरा पूरा संसार उजड़ गया। मुझे भी बार-बार आत्महत्या करने का विचार आने लगा था।"
"फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने मेरी जिंदगी बदल दी..."**
"एक शाम जब मैं घर लौट रहा था, तो एक कुत्ते का छोटा बच्चा मेरे पीछे-पीछे चलने लगा। मैंने ध्यान नहीं दिया और दरवाज़ा बंद कर घर के अंदर चला गया। पर थोड़ी देर बाद मुझे रुदन की आवाज़ सुनाई दी। मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा — वह छोटा पिल्ला ठंड से कांप रहा था।"
"मुझे उस पर दया आई। मैंने उसे अंदर बुला लिया, दूध गरम किया और उसके सामने रखा। वह भूखा था, तेजी से दूध पीने लगा। और पता नहीं क्यों, उसे यूं संतोषपूर्वक खाते देख मुझे एक अजीब-सी ख़ुशी हुई। शायद पहली बार किसी और को कुछ देकर मुझे सच्चा सुकून मिला।"
"उस दिन मैंने निश्चय किया — अब मैं अपना जीवन दूसरों की मदद में लगाऊंगा। जहां भी जाऊंगा, किसी न किसी की सहायता अवश्य करूंगा। तभी से मेरी दुनिया बदल गई। अब मेरे भीतर एक स्थायी प्रसन्नता बस गई है।"**
रश्मि ध्यान से सब सुनती रही। उसके मन में एक नई चिंगारी जली। उस दिन उसने अपनी आत्महत्या की योजना त्याग दी।
अब वह भी अपनी उदासी से निकलकर दूसरों के लिए जीने लगी। अनजानों की मुस्कान में उसे अपनी खोई हुई खुशी मिलने लगी।
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सीख:
कभी-कभी जीवन में हमारी अपनी समस्याओं का समाधान दूसरों की मदद करने में छिपा होता है। जब हम किसी को मुस्कराते हुए देखते हैं, तो हमारी आत्मा भी मुस्कुरा उठती है।
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