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"डर से मत भागो, उसे समझो... क्योंकि अक्सर जो हमें रोकता है, वह बाहर नहीं, हमारे भीतर होता है।"
कभी-कभी हम किसी वस्तु, स्थिति या सिर्फ़ एक कल्पना भर से ही डर और चिंता में डूब जाते हैं।
कोई विद्यार्थी सोचता है कि इस बार वह परीक्षा में फेल हो जाएगा — और यह सोच ही उसे अंदर से तोड़ देती है।
कोई व्यक्ति अपने भविष्य की कल्पना कर के ही परेशान हो जाता है।
पर ऐसा क्यों होता है?
असल में, यह डर इसलिए जन्म लेता है क्योंकि हम अपने अंदर किसी कमी को महसूस करते हैं।
हमें लगता है कि हम किसी और से कम हैं, हम सक्षम नहीं हैं, हम हार जाएंगे — और यही सोच हमें अंधेरे की ओर ले जाती है।
लेकिन रुकिए —
जब भविष्य हमारे हाथ में नहीं है, तो उसके बारे में बार-बार सोचना क्यों?
हमें आज पर ध्यान देना चाहिए।
आज कुछ करेंगे तभी तो भविष्य बनेगा।
हम खुद को कमजोर तब मानते हैं, जब हम दूसरों से तुलना करते हैं। और जब ऐसा हो, तब कुछ बातें याद रखनी चाहिए:
जब डर और बेचैनी घेरे, तब क्या करें?
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1. समस्या को नहीं, अपनी सोच को देखो
जो चीज़ आपको परेशान कर रही है, उससे ज़्यादा ज़रूरी है यह जानना कि आप उसके बारे में क्या सोच रहे हैं।कई बार चीज़ें वैसी नहीं होती जैसी वे दिखती हैं — पर हमारी सोच उन्हें और बड़ा बना देती है।
2. खुद से पूछो – क्या ये वाकई ज़रूरी है?
कई छोटी-छोटी बातें भी हमें ज़रूरत से ज़्यादा परेशान कर देती हैं।हर बात को दिल से लगाना जरूरी नहीं होता।
3. ध्यान हटाओ – उसे नजरअंदाज़ करना सीखो
जो चीज़ आपकी ऊर्जा नष्ट कर रही है, उसे ignor कर देना सीखो।हर चीज़ को जवाब देना, हर बात में उलझना — ये आपकी मानसिक शांति को छीन लेते हैं।
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4. सकारात्मक रहो – खुद को बदलो
हर परिस्थिति को बदलना हमारे हाथ में नहीं होता, लेकिन खुद को बदलना पूरी तरह से हमारे वश में है।हर दिन एक नई शुरुआत हो सकती है, अगर मन से चाहो तो।
5. मौन रहो – यही सबसे बड़ी ताकत है
कई बार मौन ही हमें खुद से जोड़ता है।भीड़, शोर और प्रतिक्रियाओं से दूर, मौन हमें अंदर से मजबूत बनाता है।
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अंत में – डर को समझो, उससे भागो नहीं
डर कल्पना से उपजता है, और विश्वास उस डर को मिटा देता है।
अगर हम हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके आज को बेहतर बनाएँ, तो कल खुद-ब-खुद सुंदर हो जाएगा।
याद रखो – डर को हराना है, तो काम में लग जाओ। सोचना कम, करना ज़्यादा।
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