क्यों बिगड़ता है मन का संतुलन और उसे कैसे संभालें


“व्यक्ति अकेले कमरे में उदास और पछतावे से भरा बैठा है, भीतर की हलचल झलक रही है।”
“उस क्षण हमारी आंतरिक ऊर्जा इतनी प्रबल होती है कि हम अनजाने में यांत्रिक व्यवहार करने लगते हैं।”


   ज़िंदगी हमेशा हमारे मुताबिक नहीं चलती। कभी लगता है की सब ठीक चल रहा है, और तभी अचानक कोई परेशानी सामने आ जाती है। एक छोटी-सी गलती, छोटी-सी बात या फिर कोई अनपेक्षित स्थिति हमें इस कदर विचलित कर देती है कि हमारा धैर्य ही टूट जाता है। उस समय लगता है मानो आज का पूरा दिन ही खराब हो। पर सवाल ये है कि ऐसा क्यों होता है? और क्या हम इस पर काबू पा सकते हैं?


अस्थिरता का कारण


दरअसल, ऐसा होना केवल हमारा स्वभाव या मूड नहीं होता। उस समय हमारी आंतरिक आवृत्ति (frequency) ब्रह्मांड से एक अलग तरह की ऊर्जा से जुड़ जाती है। यह ऊर्जा इतनी प्रबल होती है कि हम अनजाने में ही यांत्रिक (automatic) व्यवहार करने लगते हैं। उस क्षण हमारे हाथ में जैसे कुछ होता ही नहीं—हम लगातार प्रतिक्रिया बाहर दे रहे होते हैं, लेकिन असली खेल तो अंदर चल रहा होता है। ऊर्जा के माध्यम से जो हमें भटकाने का काम कर रही होती है।

“तनावग्रस्त व्यक्ति ऑफिस में गुस्से से प्रतिक्रिया दे रहा है, छोटी-सी परेशानी पर मन अस्थिर हो रहा है।”
“कभी-कभी छोटी सी गलती भी पूरे दिन को बिगाड़ देती है और मन का संतुलन टूट जाता है।


और फिर जब यह आवृत्ति शांत हो जाती है, तो हम फिर से सामान्य और शांत हो जाते हैं। अक्सर हमें बाद में पछतावा भी होता है कि हमने ऐसा व्यवहार क्यों किया, जबकि हम चुप भी रह सकते थे।


क्या यह हमारे नियंत्रण में है?


यह समझना जरूरी है कि कई बार ऐसी परिस्थितियाँ हमारे कर्मों का परिणाम होती हैं। वे बार-बार सामने आती हैं ताकि हम उन्हें जीकर, अनुभव करके, समाप्त कर सकें। इसलिए जीवन में जब बार-बार मुश्किलें आती हैं, चीज़ें उलट-पुलट हो जाती हैं, इसलिए हमें समझना चाहिए कि यह सिर्फ संयोग नहीं है—यह हमारे लिए एक सीख और भोग का हिस्सा है।


समाधान: जागरूकता की शक्ति


तो क्या हम हर समय शांत रह सकते हैं? जवाब है – हाँ, लेकिन इसके लिए हमें अपनी समझ और जागरूकता को बढ़ाना होगा।


जब हम परिस्थिति को पहचान लेते हैं, तो प्रतिक्रिया देने के बजाय हम साक्षी भाव से देखने लगते हैं।

जब हमें पहले से पता हो कि कोई परिणाम निश्चित है, तब हमें चिंता या उत्साह नहीं होता। ठीक वैसे ही जैसे इन्टरव्यू देने के बाद हमें पहले ही पता हो कि वह नौकरी हमें मिलने ही वाली है—तो हमे उतना उत्साह नहीं होगा। जितना की हम उसके मिलने से अंजान बने रहते हैं। क्युकी जब हम परिणाम से अनजान रहते हैं, तब चिंता और बेचैनी बढ़ जाती है।


“व्यक्ति सुबह पार्क में ध्यानमग्न बैठा है और चेहरे पर संतुलन व शांति झलक रही है।”
“जब हम परिस्थितियों को समझते हैं, तो कोई भी स्थिति हमें विचलित नहीं कर सकती।”




यही कारण है कि जागरूकता और समझ हमें किसी भी विपरीत स्थिति में भी संतुलित और शांत बनाए रख सकती है।

निष्कर्ष


जीवन में हर घटना का एक उद्देश्य है। कभी परिस्थितियाँ हमारी उम्मीदों के विपरीत जाती हैं, तो कभी हमारे मन के मुताबिक नहीं चलतीं। लेकिन अगर हम जागरूक होकर उन्हें समझें, तो हमें अहसास होगा कि कोई भी स्थिति स्थायी नहीं है। मुश्किलें आएँगी और चली जाएँगी, लेकिन हमारी आंतरिक शांति और धैर्य ही हमा

री सबसे बड़ी ताकत है।

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