सयंम – शांति में छिपा जीवन का रहस्य

 

“एक बया पक्षी शाखा पर टँगे घोंसले को पूरी सावधानी और सयंम से बना रहा है।”
“प्रकृति सिखाती है — हर रचना सयंम से ही सुंदर बनती है।”

दुनिया की हर चीज़ संयम से चल रही है — फिर वह प्रकृति ही क्यों न हो।

वह कभी जल्दबाज़ी नहीं करती, क्योंकि उसे पता है कि शांति से ही सच्चा कार्य होता है। जब हम शांत रहते हैं, तभी किसी चीज़ को भीतर तक समझ सकते हैं। जल्दबाज़ी में तो सब उलझ जाता है — और हम ग़लतियाँ कर बैठते हैं।

एक सयंमित मन ही हमें जीवन की सही राह दिखा सकता है।

अगर तुममें संयम नहीं है, तो इसका मतलब तुम्हारा जीवन असंतुलित गति से आगे बढ़ रहा है — और इसके परिणाम तुम्हें भविष्य में भुगतने पड़ेंगे।

तुम कितने स्मार्ट हो, यह मायने नहीं रखता — मायने यह रखता है कि क्या तुम सही समय पर सही निर्णय ले पाते हो।

एक बेचैन मन कभी सही निर्णय नहीं ले सकता, पर एक शांत और संयमित मन हमेशा दिशा दिखाता है।

समय अपने ही वेग से चलता है —

वह कभी तेज़ नहीं होता, न कभी धीमा होता है।

तुम उसकी क़दर करो या न करो, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।

वह बस चलता रहता है, और जब बीत जाता है — तब हमें उसकी कीमत समझ में आती है।

“एक सयंमित व्यक्ति आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है जबकि पीछे लोग थकान से भाग रहे हैं।”
“जो शांति से चलता है, वही अंत तक पहुँचता है।”


हममें से कई लोग कहते हैं — “मैं तो वक़्त से आगे चलता हूँ।”

पर सच यह है कि वक़्त से आगे कोई नहीं चल सकता।

हाँ, कोई व्यक्ति अपने विचारों से वक़्त से आगे चल सकता है — ऐसा व्यक्ति बेहद प्रतिभाशाली होता है। उसका अपने काम पर ध्यान केंद्रित रहता है, उसकी अपनी राय होती है पर वह उसमें उलझता नहीं। आजकल तो हर कोई खुद को होशीयार ही समझता है। 


आजकल हर किसी को जल्दी है — कहीं पहुँचने की, कुछ करने की।

सबको को बस “अभी” सब चाहिए। पर वह नहीं सोचते

की हर चीज़ को समय लगता है, बस उन्हें रिजल्ट चाहिए पर तो दुनिया अपनी गति से चलती है — न उससे पहले कुछ होता है, न बाद में।

जैसे की एक नदी —

नदी का पानी गंदा है, और हम चाहते हैं कि वह तुरंत साफ़ हो जाए, पर कैसे कचरा साफ भी हो पर पाणी कैसे साफ होगा

 यह तो संभव नहीं। पर अगर हम थोड़ा संयम रखें, प्रतीक्षा करें,

तो बरसात का समय आते ही नदी का पानी स्वयं अपनी गंदगी बहा ले जायेगा और नदी साफ हो जायेगी।

“बरसात में नदी का तेज़ पानी गंदगी को बहा ले जा रहा है — प्रकृति अपने सयंम में कार्य कर रही है।”
“हर चीज़ का अपना समय होता है — प्रकृति जानती है कब क्या बहाना है।”


प्रकृति अपना काम बड़े अच्छे-से करती है — बस हममें संयम होना चाहिए।

हर चीज़ पहले से ही सही क्रम में है —

पर हम इसे समझते नही, 

हमें प्रतीक्षा करना कठिन लगता है। उसे बस अभी चाहीए,

पर जो सयंमित व्यक्ति होता है वह हमेशा आगे रहता है।

उसे हर चीज़ सही समय पर मिल जाती है, क्योंकि वह केवल अपने कार्य पर ध्यान देता है।

जबकि साधारण व्यक्ति परिणाम के पीछे भागता है — अगर परिणाम देर से मिले तो व्याकुल हो जाता है। एक बाघ भी अपने शिकार के लिए बढ़ा इंतज़ार करता है,

वह पुरे धैर्य के साथ बैठा रहता है ताकि शिकार पर सही समय पर सही वार कर सके।

हम भी तो उसी प्रकृति का हिस्सा हैं — पर दुर्भाग्य से हमने प्रकृति से सीखना छोड़ दिया है।

🌼 संदेश

“सयंम कोई कमजोरी नहीं, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है।”

जो व्यक्ति शांत है, वही देख सकता है — और जो देख सकता है, वही समझ सकता है।

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