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| “बिना इच्छा के कोई विचार जन्म नहीं लेता, और बिना विचार जीवन आगे नहीं बढ़ता।” |
नमस्ते दोस्तों,
आपका स्वागत है मेरे आध्यात्मिक ब्लॉग Awaken0mind में।
दोस्तों, आज हम एक ऐसी सच्चाई पर बात करने वाले हैं, जिसे हम जानते तो है, समझ नहीं पाये अब तक।
लेकिन अगर इसे गहराई से समझ लिया, तो ज़िंदगी को देखने का नज़रिया ही बदल जाएगा।
👉 “इस दुनिया में इच्छा के बिना कुछ नहीं होता।”
हम अक्सर कहते हैं —
“जो होना था वही हुआ”
“मेरी किस्मत में नहीं था”
“ये तो अपने आप हो गया”
लेकिन क्या वाकई कुछ अपने आप होता है?
या फिर हर घटना के पीछे कहीं न कहीं इच्छा (Desire) छुपी होती है — चाहे वो दिखाई दे या नहीं?
🌊 इच्छा क्या है? (What is Ichchha?)
इच्छा सिर्फ किसी चीज़ को पाने की चाह नहीं होती।
इच्छा वह भीतरी हलचल है, जो हमें सोचने, चलने और निर्णय लेने पर मजबूर करती है।
बच्चा रोता है → क्योंकि जीने की इच्छा है
इंसान मेहनत करता है → क्योंकि आगे बढ़ने की इच्छा है
कोई ध्यान करता है → क्योंकि शांति की इच्छा है
कोई लड़ता है → क्योंकि अधिकार की इच्छा है
👉 जहाँ इच्छा नहीं, वहाँ गति नहीं।
यह पूरा संसार इच्छा से ही चल रहा है —
चाहे वो मनुष्य हो, प्रकृति हो या ब्रह्मांड की ऊर्जा।
🔍 गहरी सच्चाई: इच्छा ही कर्म को जन्म देती है
हम अक्सर कर्म की बात करते हैं —
“कर्म करो, फल मिलेगा”
लेकिन कोई ये नहीं पूछता कि कर्म शुरू ही क्यों हुआ?
👉 कर्म से पहले इच्छा आती है
👉 इच्छा से विचार जन्म लेता है
👉 विचार से कर्म होता है
👉 कर्म से परिणाम
मतलब साफ है —
इच्छा ही बीज है, बाकी सब उसका विस्तार है।
अगर इच्छा ही न हो, तो
न संघर्ष होगा
न सफलता
न असफलता
न अनुभव
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| “जब इच्छा सच्ची होती है, तब रास्ते अपने आप खुलते चले जाते हैं।” |
🤔 लोग क्या सोचते हैं इच्छा के बारे में
अक्सर लोग दो तरह से सोचते हैं:
1️⃣ इच्छा बुरी है
कुछ लोग मानते हैं कि इच्छा ही दुख का कारण है।
इसलिए वो इच्छा को दबाने लगते हैं।
2️⃣ इच्छा ही सब कुछ है
कुछ लोग सिर्फ इच्छाओं के पीछे भागते रहते हैं —
बिना समझे, बिना संतुलन के।
👉 दोनों ही अधूरी सोच है।
सच्चाई ये है कि
इच्छा समस्या नहीं है, अचेतन इच्छा समस्या है।
🌿 मेरी समझ से निकला अनुभव
मैंने अपनी ज़िंदगी में ये देखा है कि
जब भी मैंने कुछ पाया —
चाहे वो सीख हो, शांति हो या कोई अवसर —
उसके पीछे कहीं न कहीं एक साफ इच्छा ज़रूर थी।
और जब चीज़ें बिगड़ीं,
तो कारण ये नहीं था कि मेरी इच्छा थी,
बल्कि ये था कि मैं खुद नहीं जानता था कि मैं क्या चाहता हूँ।
👉 अधूरी, उलझी हुई इच्छा हमें भटका देती है।
🧭 तो हमें क्या करना चाहिए? (Solution)
✅ 1. अपनी इच्छा को पहचानो
खुद से ईमानदारी से पूछो:
“मैं सच में चाहता क्या हूँ?”
समाज नहीं, परिवार नहीं — मैं।
✅ 2. इच्छा को साफ बनाओ
अस्पष्ट इच्छा = अस्पष्ट परिणाम
जितनी स्पष्ट इच्छा, उतनी स्पष्ट दिशा।
✅ 3. इच्छा और जागरूकता साथ रखें
इच्छा हो, लेकिन अंधी नहीं।
उस पर समझ, धैर्य और विवेक का संतुलन हो।
✅ 4. डर से भागो मत
अक्सर हम वही चाहते हैं जिससे डरते हैं।
डर इस बात का संकेत है कि वहीं विकास छुपा है।
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| “हम जैसा चाहते हैं, वैसा ही धीरे-धीरे बनते चले जाते हैं।” |
🌟 निष्कर्ष (Conclusion)
दोस्तों,
इस दुनिया में कुछ भी बिना इच्छा के नहीं होता —
न जन्म, न संघर्ष, न सफलता, न मुक्ति।
👉 फर्क सिर्फ इतना है कि
* कुछ लोग अपनी इच्छा को समझते हैं
* और कुछ लोग उससे भागते रहते हैं
अगर आप अपनी इच्छा को पहचानकर,
जागरूकता के साथ आगे बढ़ते हैं —
तो वही इच्छा एक दिन आपकी शक्ति बन जाती है।
याद रखना:

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